% mohsin06.s isongs output
\stitle{jab se us ne shahar ko chho.Daa har rastaa sun-saan huaa}
\singers{Mohsin Naqvi #6}
जब से उस ने शहर को छोड़ा हर रस्ता सुन-सान हुआ
अपना क्या है सारे शहर का इक जैसा नुकसान हुआ
मेरे हाल पे हैरत कैसी दर्द के तन्हा मौसम में
पत्थर भी रो पड़ते हैं इंसान तो फिर इंसान हुआ
उस के ज़ख़्म छुपा कर रखिये ख़ुद उस शख़्स की नज़रों से
उस से कैसा शिकवा कीजे वो तो अभी नादान हुआ
यूँ भी कम आमेज़ था "ंओह्सिन" वो इस शहर के लोगों में
लेकिन मेरे सामने आकर और ही कुछ अंजाम हुआ
%[aamez = social/one who mixes freely]