% momin09.s isongs output
\stitle{jalataa huu.N hijr-e-shaahid-o-yaad-e-sharaab me.n}
\singers{Momin #9}
% Contributed by Sudhanshu Ambiye
जलता हूँ हिज्र-ए-शाहिद-ओ-याद-ए-शराब में
शौक़-ए-सवाब ने मुझे डाला अज़ाब में
कहते हैं तुम को होश नहीं इज़्तराब में
सारे गिले तमाम हुए एक जवाब में
फैली शमीम-ए-यार मेरे अश्क-ए-सुर्ख़ से
दिल को ग़ाज़ब फ़िशार हुआ पेच-ओ-ताब में
रहते हैं जमा कूचा-ए-जानाँ में ख़ास-ओ-आम
आबाद एक घर है जहान-ए-ख़राब में
बदनाम मेरे गिरिया-ए-रुसवा से हो चुके
अब उज़्र क्या रहा निगाह-ए-बेहिजाब में
मतलब की जुस्तजू ने ये क्या हाल कर दिया
हसरत भी नहीं दिल-ए-नाकामयाब में
नाकामियों से काम रहा उम्र भर हमें
पिरी में यास है जो हवस थी शबाब में
क्या जल्वे याअद आये के अपनी ख़बर नहीं
बे-बादा मस्त हूँ मैं शब-ए-माहताब में
पैहम सजूद पा-ए-सनम पर दम-ए-विदा
"ंओमिन" ख़ुदा को भूल गये इज़्तराब में