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\stitle{mujh se meraa kyaa rishtaa hai har ik rishtaa bhuul gayaa}
\singers{Mumtaz Raashid #1}



मुझ से मेरा क्या रिश्ता है हर इक रिश्ता भूल गया
इतने आईने देखे हैं अपना चेहरा भूल गया

अब तो ये भी याद नहीं है फ़र्क़ था कितना दोनों में
उस की बातें याद रहीं और उस का लहजा भूल गया

प्यासी धर्ती के होंठों पर मेरा नाम नहीं तो क्या
मैं वो बादल का तुकड़ा हूँ जिस को दरिया भूल गया

दुनिया वाले कुछ भी कहें "ऱाशिद" अपनी मजबूरी है
उस की गली जब याद आई है घर का रस्ता भू गया