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% mrashid02.s isongs output
\stitle{Ik Kaifiyat}
\singers{Mumtaz Raashid #2}
% Contributed by Fayaz Razvi



हश्र जैसी वो घड़ी होती है
दिल पे उफ़्ताद पड़ी होती है
सर्द आहों की झड़ी होती है
गर्म अश्कों की लड़ी होती है
सोच रास्तों में गड़ी होती है
हिज्र की रात का आलम तौबा
हिज्र की रात कड़ी होती है