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\stitle{dard kii baarish sahii maddham zaraa aahistaa chal}
\singers{Mumtaz Raashid #3}



दर्द की बारिश सही मद्धम ज़रा आहिस्ता चल
दिल की मिट्टी है अभी तक नम ज़रा आहिस्ता चल

तेरे मिलने और फिर तेरे बिछड़ जाने के बीच
फ़ासला रुस्वाई का है कम ज़रा आहिस्ता चल

अपने दिल ही में नहीं है उस की महरूमी की याद
उस की आँखों में भी है शबनम ज़रा आहिस्ता चल

कोई भी हो हम-सफ़र "ऱाशिद" न हो ख़ुश इस क़दर
अब के लोगों में वफ़ा है कम ज़रा आहिस्ता चल