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% mrashid04.s isongs output
\stitle{aaj bhii hai mere qadamo.n ke nishaa.N aavaaraa}
\singers{Mumtaz Raashid #4}
% Contributed by Ajay Chandran
आज भी है मेरे क़दमों के निशाँ आवारा
तेरी गलियों में भटकते थे जहाँ आवारा
तुझ से क्या बिछड़े तो ये हो गई अपनी हालत
जैसे हो जाये हवाओं में धुआँ आवारा
मेरे शेरों की थी पहचान उसी के दम से
उस को खो कर हुए बेनाम-ओ-निशाँ आवारा
जिस को भी चाहा उसे टूट के चाहा "ऱाशिद"
कम मिलेंगे तुम्हें हम जैसे यहाँ आवारा