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% mumtazmirza02.s isongs output
\stitle{Khushiyaa.N hamaarii sar-e-daar tak gayii.n}
\lyrics{Mumtaz Mirza}
\singers{Mumtaz Mirza}
% Contributed by Fayaz Razvi



ख़ुशियाँ हमारी सर-ए-दार तक गयीं
रुस्वाईयाँ भी कूचा-ओ-बाज़ार तक गयीं

तन्हाईयों ने फ़ासले सारे मिटा दिये
परछाईयाँ मेरी तेरी दीवार तक गयीं

वो एहतराम-ए-ग़म था के लब तक ना हिल सके
नज़रें उठीं तो सर-ए-हद्द-ए-गुफ़्तार तक गयीं

तुम ने जलाया मेरा नशेमन तो ग़म नहीं
चिंगारियाँ उड़ीं गुल-ओ-गुलज़ार तक गयीं

ग़र्क़ाब होने वालों को कुछ तो मिली मदद
साहिल से कुछ सदाएं मझधार तक गयीं