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\stitle{meraa dil bhii shauq se to.Do ek tajurbaa aur sahii}
\singers{Murad Lucknawi}



मेरा दिल भी शौक़ से तोड़ो एक तजुर्बा और सही
लाख खिलोने तोड़ चुके हो एक खिलोना और सही

रात है ग़म की आज बुझा दो जलता हुआ हर एक चिराग़
दिल में अँधेरा हो ही चुका है घर में अँधेरा और सही

दम है निकलता है इक आशिक़ का भीड़ है आ कर देख तो लो
लाख तमाशे देखे होंगे एक नज़ारा और सही

खंजर ले कर सोचते क्या हो क़त्ल "ंउरद" भी कर डालो
दाग़ हैं सौ दामन पे तुम्हारे एक इज़ाफ़ा और सही