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\stitle{ra.ngat terii zulfo.n kii ghaTaao.n ne churaaii}
\singers{Naseem Akhtar}



रंगत तेरी ज़ुल्फ़ों की घटाओं ने चुराई
ख़ुश्बू तेरे आँचल से हवाओं ने उड़ाई

पैमाने का दिल टूट न जाए तो कहूँ मैं
है चीज़ ग़ज़ब की जो निगाहों ने पिलाई

क़ैदी तेरी ज़ुल्फ़ों का है आज़ाद जहाँ से
मुझ को ये रिहाई तो सज़ाओं ने दिलाई

माना की बहारों ने खिलाया है गुलों को
उल्फ़त की कली दिल में वफ़ाओं ने खिलाई

थम-थम के बरसना कभी झम-झम के बरसना
सावन को अदा ये मेरे अश्कों ने सिखाई

मंज़िल पे पहुंच कर 'नसीम' एहसास हुआ है
जिस राह से पहुंचा ये ख़ताओं ने दिखाई