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\stitle{ye i.ntazaar Galat hai ki shaam ho jaaye}
\singers{Naresh Kumar Shad #2}
ये इंतज़ार ग़लत है कि शाम हो जाये
जो हो सके तो अभी दौर-ए-जाम हो जाये
ख़ुदा-न ख़्वास्ता पीने लगे जो वाइज़ भी
हमारे वास्ते पीन हराम हो जाये
मुझ जैसे रिंद को भी तू ने हश्र में या रब
बुला लिया है तो कुछ इन्तज़ाम हो जाये
वो सहन-ए-बाग़ में आये हैं मय-कशी के लिये
ख़ुदा करे के हर इक फूल जाम हो जाये
मुझे पसन्द नहीं इस पे गाम-ज़न होना
वो रह-गुज़र जो गुज़र-गाह-ए-आम हो जाये