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\stitle{dil-e-pur_aarazuu naakaam hokar}
\singers{Naresh Kumar Shad #4}
दिल-ए-पुरारज़ू नाकाम होकर
ज़्यादा ख़ूबसूरत हो गया है
करम ऐसे किये हैं दोस्तों ने
कि हर दुश्मन पे प्यार आने लगा है
तेरा ग़म तो मेरी जान-ए-तमन्ना
तेरी सूरत से बढ़कर दिल्रुबा है
जब आये तो उजाला हो गया था
गये तो फिर वही घर की फ़ज़ा है
नहीं है अपना ग़म ऐ "षद" जब से
ज़माने भर का ग़म अपना लिया है