% nazeer01.s isongs output
\stitle{duur se aaye the saaqii sun ke maiKhaane ko ham}
\singers{Nazeer Akbarabadi #1}
दूर से आये थे साक़ी सुन के मैख़ाने को हम
बस तरसते ही चले अफ़सोस पैमाने को हम
मय भी है मीना भी है साग़र भी है साक़ी नहीं
दिल में आता है लगा दें आग मयख़ाने को हम
हम को फ़सना था क़फ़ज़ में क्या गिला सय्याद का
बस तरसते ही रहे हैं आब और दाने को हम
बाग़ में लगता नहीं सह्रा में घबरता है दिल
अब कहाँ ले जाके बैठें ऐसे दीवाने को हम
क्या हुई तक़सीर हमसे तू बता दे ऐ "णज़ेएर"
ताकि शादी मर्ग समझें ऐसे मर जाने को हम
%[taqasiir = mistake; marg = death]