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% nbaqri01.s isongs output
\stitle{dhuaa.N banaake fizaa me.n u.Daa diyaa mujhako}
\lyrics{Nazeer Baqri}
\singers{Nazeer Baqri}
% Contributed by Fayaz Razvi



धुआँ बनाके फ़िज़ा में उड़ा दिया मुझको
मैं जल रहा था किसी ने बुझा दिया मुझको

तरक़्क़ियों का फ़साना सुना दिया मुझको
अभी हँसा भी न था और रुला दिया मुझको

मैं एक ज़र्रा बुलंदी को छूने निकला था
हवा ने थम के ज़मीं पर गिरा दिया मुझको

सफ़ेद सांग की चादर लपेट कर मुझ पर
फ़सील-ए-शहर पे किसने सजा दिया मुझको

खड़ा हूँ आज भी रोटी के चार हर्फ़ लिये
सवाल ये है किताबों ने क्या दिया मुजह्को

न जाने कौन सा जज़्बा था जिसने ख़ुद ही "णज़ेएर"
मेरी ही ज़ात का दुश्मन बना दिया मुझको