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\stitle{dhuup me.n nikalo ghaTaao.n me.n nahaa kar dekho}
\lyrics{Nida Fazli}
\singers{Nida Fazli}
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो
वो सितारा है चमकने दो यूँ ही आँखों में
क्या ज़रूरी है उसे जिस्म बनाकर देखो
पत्थरों में भी ज़ुबाँ होती है दिल होते हैं
अपने घर की दर-ओ-दीवार सजा कर देखो
फ़ासला नज़रों का धोका भी तो हो सकता है
वो मिले या न मिले हाथ बड़ा कर देखो