ACZoom Home | ITRANS | ITRANS Song Book |
% nkazmi04.s isongs output
\stitle{kuchh yaadagaar-e-shahar-e-sitamagar hii le chale.n}
\singers{Nasir Kazmi}
कुछ यादगार-ए-शहर-ए-सितमगर ही ले चलें
आये हैं इस गली में तो पत्थर ही ले चलें
यूँ किस तरह कटेगा कड़ी धूप का सफ़र
सर पर ख़याल-ए-यार की चादर ही ले चलें
रंज-ए-सफ़र की कोई निशानी तो पास हो
थोड़ी सी ख़ाक-ए-कूचा-ए-दिलबर ही ले चलें
ये कह के छेड़ती है हमें दिल-गिरफ़्तगी
घबरा गये हैं आप तो बहर ही ले चलें
इस शहर-ए-बेचराग़ में जायेगी तू कहाँ
आ ऐ शब-ए-फ़िराक़ तुझे घर ही ले चलें