% nkazmi08.s isongs output
\stitle{kisii kalii ne bhii dekhaa na aa.Nkh bhar ke mujhe}
\singers{Nasir Kazmi}
किसी कली ने भी देखा न आँख भर के मुझे
गुज़र गई जरस-ए-गुल उदास कर के मुझे
मैं सो रहा था किसी याद के शबिस्ताँ में
जगा के छोड़ गये क़ाफ़िले सहर के मुझे
मैं रो रहा था मुक़द्दर की सख़्त राहों में
उड़ा के ले गया जादू तेरी नज़र का मुझे
मैं तेरी दर्द की तुग़ियानियों में डूब गया
पुकारते रहे तारे उभर उभर के मुझे
तेरे फ़िराक़ की रातें कभी न भूलेंगी
मज़ा मिले इंहीं रातों में उम्र भर के मुझे
ज़रा सी देर ठहरने दे ऐ ग़म-ए-दुनिया
बुला रहा है कोई बाम से उतर के मुझे
फिर आज आई थी इक मौज-ए-हवा-ए-तरब
सुना गई है फ़साने इधर-उधर के मुझे