% nkazmi11.s isongs output
\stitle{tere Khayaal se lau de uThii hai tanahaa_ii}
\singers{Nasir Kazmi}
तेरे ख़याल से लौ दे उठी है तनहाई
शब-ए-फ़िराक़ है या तेरी जलवा-आराई
तू किस ख़याल में है, ऐ मंज़िलों के शादाई
उंहें भी देख जिंहें रास्ते में नींद आई
पूकार ऐ जरस-ए-कारवान-ए-सुबह-ए-तरब
भटक रहे हैं अँधेरों में तेरे सौदाई
रह-ए-हयात में कुछ मर्हले तो देख लिये
ये और बात तेरी आरज़ू न रास आई
ये सानिहा भी मुहब्बत में बारहा गुज़रा
कि उसने हाल भी पूछा तो आँख भर आई
फिर उस की याद में दिल बेक़रार है 'णसिर'
बिछड़ के जिस से हुई शह्र शह्र रुसवाई