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\stitle{apanii dhun me.n rahataa huu.N}
\singers{Nasir Kazmi}



अपनी धुन में रहता हूँ
मैं भी तेरे जैसा हूँ

ओ पिछली रुत के साथी
अब के बरस मैं तन्हा हूँ

तेरी गली में सारा दिन
दुख के कंकर चुनता हूँ

अपनी लहर है अपना रोग
दरिया हूँ और प्यासा हूँ

आती रुत मुझे रोयेगी
जाती रुत का झोँका हूँ