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\stitle{kaash Khvaabo.n hii me.n aa jaao bahut tanahaa huu.N}
\singers{Nyay Sharma #1}



काश ख़्वाबों ही में आ जाओ बहुत तनहा हूँ

या मेरे ज़हन से यादों के दिये गुल कर दो
मेरे एहसास की दुनिया को मिटा दो हम-दम
रात तारे नहीं अंगारे लिये आती है
इन बरसते हुये शोलों को बुझा दो हम-दम
दिल की धड़कन को सुला जाओ बहुत तनहा हूँ

अँधेरी रात में जब चाँद खिलने लगता है
तुम्हारे प्यार के दीपक जलाके रोता हूँ
तुम्हारे आने की जब आस जाने लगती है
मैं इन चिराग़ों को ख़ुद ही बुझा के रोता हूँ
ज़िंदगी ऐसी मिटा जओ बहुत तनहा हूँ

सोचते सोचते जब सोच भी मर जाती है
वक़्त के क़दमों की आहट को सुना करता हूँ
अश्क थमते हैं तो आहों का धुआँ उठता है
रात भर यूँ ही तड़पता हूँ जला करता हूँ
बार-ए-ग़म कुछ तो घटा जाओ बहुत तनहा हूँ