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\stitle{paa-ba-gil sab hai.n rihaa_ii kii kare tadabiir kaun}
\singers{Parveen Shakir #16}
पा-ब-गिल सब हैं रिहाई की करे तदबीर कौन
दस्त-बस्ता शह्र में खोले मेरी ज़ंजीर कौन
मेरा सर हाज़िर है लेकिन मेरा मुंसिफ़ देख ले
कर रहा है मेरे फ़र्द-ए-जुर्म को तहरीर कौन
मेरी चादर तो छिनी थी शाम की तनहाई ने
बेरिदाई को मेरी फिर दे गया तशहीर कौन
नींद जब ख़्वाबों से प्यारी हो तो ऐसे अहद में
ख़्वाब देखे कौन और ख़्वाबों को दे ताबीर कौन
रेत अभी पिछले मकानों की न वापस आई थी
फिर लब-ए-साहिल घरौंदा कर गया तामिर कौन
सारे रिश्ते हिज्रतों में साथ देते हैं तो फिर
शहर से जाते हुये होता है दामन-गीर कौन
दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद हैं
देखना है खेंचता है मुझपे पहला तीर कौन