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\stitle{kuchh to havaa bhii sard thii kuchh thaa teraa Khayaal bhii}
\singers{Parveen Shakir #17}



कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तेरा ख़याल भी
दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी

बात वो आधी रात की, रात वो पूरे चाँद की
चाँद भी ऐन चैत का, उ पे तेरा जमाल भी

सब से नज़र बचा के वो मुझको कुछ ऐसे देखते
एक दफ़ा तो रुक गई गर्दिश-ए-माह-ओ-साल भी

दिल तो चमक सकेगा क्या फिर भी तराश के देख लो
शीशागराने शहर के हाथ का ये कमाल भी

उस को न पा सके थे जब दिल का अजीब हाल था
अब जो पलट के देखिये बात थी कुछ मुहाल भी

मेरी तलब था एक शख़्स वो जो नहीं मिला तो फिर
हाथ दुआ से यूँ गिरा भूल गया सवाल भी

शाम की नासमझ हवा पूछ रही है इक पता
मौज-ए-हवा-ए-कू-ए-यार कुछ तो मेरा ख़याल भी