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\stitle{kuu-ba-kuu phail ga_ii baat shanaasaa_ii kii}
\singers{Parveen Shakir #18}



कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई की
उस ने ख़ुश्बू की तरह मेरी पज़ीराई की

कैसे कह दूँ कि मुझे छोड़ दिया है उसने
बात तो सच है मगर बात है रुस्वाई की

वो कहीं भी गया लौटा तो मेरे पास आया
बस यही बात है अच्छी मेरे हरजाई की

तेरा पहलू तेरे दिल की तरह आबाद रहे
तुझपे गुज़रे न क़यामत शब-ए-तनहाई की

उस ने जलती हुई पेशानी पे जो हाथ रखा
रूह तक आ गई तासीर मसीहाई की