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\stitle{ham dostii ehasaan vafaa bhuul gaye hai.n}
\singers{Payam Saeedi #2}
हम दोस्ती एहसान वफ़ा भूल गये हैं
ज़िंदा तो हैं जीने की अदा भूल गये हैं
ख़ुश्बू जो लुटाते हैं मसलते हैं उसी को
एहसास का बदला ये मिलता है कली को
एहसास तो लेते हैं सिला भूल गये हैं
करते हैं मुहब्बत का और एहसास का सौदा
मतलब के लिये करते हैं ईमान का सौदा
डर मौत का और ख़ौफ़-ए-ख़ुदा भूल गये हैं
अब मोम में ढलकर कोई पत्थर नहीं होता
अब कोई भी क़ुर्बान किसी पर नहीं होता
क्यूँ भटके हैं मंज़िल का पता भूल गये हैं