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\stitle{ye husn-e-raaz muhabbat chhupaa rahaa hai koii}
\lyrics{Qadeer}
\singers{Qadeer}
ये हुस्न-ए-राज़ मुहब्बत छुपा रहा है कोई
है अश्क आँखों में और मुस्कुरा र्हा है कोई
नज़र नज़र में तजल्ली दिखा रहा है कोई
नफ़ज़ नफ़ज़ पे मुझे याद आ रहा है कोई
तख़युलात के धोके हैं सब शब-ए-वादा
न आ रहा है कोई और न जा रहा है कोई
ये हुस्न-ओ-इश्क़ की तस्वीर के हैं दो मंज़र
कि रो रहा है कोई मुस्कुरा रहा है कोई
"Qअदेएर" हश्र में पहुँचे तो हम ने क्या देखा
किसी के हाथ से दामन छुड़ा रहा है कोई