% qaiser01.s isongs output
\stitle{tumhaare shahar kaa mausam ba.Daa suhaanaa lage}
\lyrics{Qaiser ul Jafri}
\singers{Qaiser ul Jafri #1}
% Contributed by Fayaz Razvi
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे
तुम्हारे बस में अगर हो तो भूल जाओ हमें
तुम्हें भूलने में शायद मुझे ज़माना लगे
हमारे प्यार से जलने लगी है ये दुनिया
दुआ करो किसी दुश्मन कि बद-दुआ न लगे
न जाने क्या है उस की बेबाक आँखों में
वो मूँह छुपा के जाये भी तो बेवफ़ा लगे
जो डूबना है तो इतने सुकून से डूबो
के आस पास की लहरों को भी पता न लगे
हो जिस अदा से मेरे साथ बेवफ़ाई कर
के तेरे बाद मुझे कोई बेवफ़ा न लगे
वो फूल जो मेरे दामन से हो गय मंसूब
ख़ुदा करे उंहें बाज़ार की हवा न लगे
तुम आँख मूंध के पी जाओ ज़िंदगी 'Qऐसेर'
के एक घूँट में शायद ये बदमज़ा न लगे