% qaiser03.s isongs output
\stitle{ham tere shahar me.n aaye hai.n musaafir kii tarah}
\singers{Qaiser ul Jafri}
हम तेरे शहर में आये हैं मुसाफ़िर की तरह
सिर्फ़ एक बार मुलाक़ात का मौक़ा दे दे
मेरी मंज़िल है कहाँ मेरा ठिकाना है कहाँ
सुबह तक तुझसे बिछड़कर मुझे जाना है कहाँ
सोचने के लिये एक रात का मौक़ा दे दे
अपनी आँखों में छुपा रखें हैं जुगनू मैं ने
अपनी पलकों पे सजा रखे हैं आँसू मैं ने
मेरी आँखों को भी बरसात का मौक़ा दे दे
आज की रात मेरा दर्द-ए-मुहब्बत सुन ले
कंप-कंपाते हुये होंठों की शिकायत सुन ले
आज इज़हार-ए-ख़यालात का मौक़ा दे दे
भूलना था तो ये इक़रार किया ही क्यूँ था
बेवफ़ा तूने मुझे प्यार किया ही क्यूँ था
सिर्फ़ दो-चार सवालात का मौक़ा दे दे