% qateel04.s isongs output
\stitle{apane haatho.n kii lakiiro.n me.n basaale mujhako}
\lyrics{Qateel Shifai}
\singers{Qateel Shifai}
अपने हाथों की लकीरों में बसाले मुझको
मैं हूँ तेरा नसीब अपना बना ले मुझको
मुझसे तू पूछने आया है वफ़ा के मानी
ये तेरी सदादिली मार न डाले मुझको
मैं समंदर भी हूँ मोती भी हूँ ग़ोताज़न भी
कोई भी नाम मेरा लेके बुलाले मुझको
तूने देखा नहीं आईने से आगे कुछ भी
ख़ुदपरस्ती में कहीं तू न गँवाले मुझको
कल की बात और है मैं अब सा रहूँ या न रहूँ
जितना जी चाहे तेरा आज सताले मुझको
ख़ुद को मैं बाँट न डालूँ कहीं दामन-दामन
कर दिया तूने अगर मेरे हवाले मुझको
मैं जो काँता हूँ तो चल मुझसे बचाकर दामन
मैं हूँ अगर फूल तो जूड़े में सजाले मुझको
मैं खुले दर के किसी घर का हूँ सामाँ प्यारे
तू दबे पाँव कभी आके चुराले मुझको
तर्क-ए-उल्फ़त की क़सम भी कोई होती है क़सम
तू कभी याद तो कर भूलनेवाले मुझको
बादा फिर बादा है मैं ज़हर भी पी जाऊँ "Qअतेएल"
शर्त ये है कोई बाहों मेइं सम्भले मुझको