% qateel14.s isongs output
\stitle{tumhaarii a.njuman se uTh ke diivaane kahaa.N jaate}
\lyrics{Qateel Shifai}
\singers{Qateel Shifai}
तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहाँ जाते
जो वाबस्ता हुए तुम से वो अफ़साने कहाँ जाते
निकल कर दैर-ओ-काबा से अगर मिलता न मैख़ाना
तो ठुकराये हुए इंसाँ ख़ुदा जाने कहाँ जाते
तुम्हारी बेरुख़ी ने लाज रख ली बादाख़ाने की
तुम आँखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते
चलो अच्छा हुआ काम आ गई दीवानगी अपनी
वगर्ना हम ज़माने भर को समझाने कहाँ जाते
'Qअतेएल' अपना मुक़द्दर ग़म से बेगाना अगर होता
फिर तो अपने-पराये हमसे पहचाने कहाँ जाते