% qateel15.s isongs output
\stitle{ulfat kii na_ii ma.nzil ko chalaa, tuu baa.Nhe.n Daal ke baa.Nho.n me.n}
\lyrics{Qateel Shifai}
\singers{Qateel Shifai}
उल्फ़त की नई मंज़िल को चला, तू बाँहें डाल के बाँहों में
दिल तोड़ने वाले देख के चल, हम भी तो पड़े हैं राहों में
क्या क्या न जफ़ाएँ दिल पे सहीं, पर तुम से कोई शिकवा न किया
इस जुर्म को भी शामिल कर लो, मेरे मासूम गुनाहों में
जहाँ चाँदनी रातों में तुम ने ख़ुद हमसे किया इक़रार-ए-वफ़ा
फिर आज हैं हम क्यों बेगाने, तेरी बेरहम निगाहों में
हम भी हैं वहीं, तुम भी हो वही, ये अपनी-अपनी क़िस्मत है
तुम खेल रहे हो ख़ुशियों से, हम डूब गये हैं आहों में