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\stitle{hamako dushman kii nigaaho.n se na dekhaa kiije}
\lyrics{Rais Akhtar}
\singers{Rais Akhtar}



हमको दुश्मन की निगाहों से न देखा कीजे
प्यार ही प्यार हैं हम हम पे भरोसा कीजे

चंद यादों के सिवा हाथ न कुछ आयेगा
इस तरह उम्र-ए-गुज़रा का न पीछा कीजे

रोश्नी औरों के आँगन में गवारा न सही
कम से कम अपने ही घर में तो उजाला कीजे

क्या ख़बर कब वो चले आयेंगे मिलने के लिये
रोज़ पलकों पे नयी शमएं जलाया कीजे