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% rampuri01.s isongs output
\stitle{shaayad aa jaayegaa saaqii ko taras ab ke baras}
\singers{Rai Rampuri}
शायद आ जायेगा साक़ी को तरस अब के बरस
मिल न पाया है उन आँखों क रस अब के बरस
ऐसी चाईं थी कहाँ ग़म की घटायेँ पहले
हाँ मेरे दीदा-ए-तर ख़ूब बरस अब के बरस
उफ़्फ़ वो उन मद-भरी आँखों के छलकते हुये जाम
बड़ गई और भी पीने की हवस अब के बरस
पहले ये कब था कि वो मेरे हैं मैं उन का हूँ
उन की यादों ने सताया है तो बस अब के बरस