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\stitle{bahaaro.n ko chaman yaad aa gayaa hai}
\singers{Rifat Sultan #1}
बहारों को चमन याद आ गया है
मुझे वो गुल-बदन याद आ गया है
लचकती शाख़ ने जब सर उठाया
किसी का बाँक्पन याद आ गया है
तेरी सूरत को जब देखा है मैं ने
उरूज-ए-फ़िक्र-ओ-फ़न याद आ गया है
मिले वो अजनबी बन कर तो "ऱिफ़त"
ज़माने का चलन याद आ गया है