% rilahabadi01.s isongs output
\stitle{aashiyaa.N jal gayaa gulasitaa.N luT gayaa ham qafas se nikal kar kidhar jaae.nge}
\singers{Raaz Ilahabadi}
आशियाँ जल गया गुलसिताँ लुट गया हम क़फ़स से निकल कर किधर जाएंगे
इतने मानूस सय्याद से हो गए अब रिहाई मिलेगी तो मर जाएंगे
और कुछ दिन ये दस्तूर-ए-मैख़ाना है तश्नाकामी के ये दिन गुज़र जाएंगे
मेरे साक़ी को नज़रें उठाने तो दो जितने ख़ाली हैं सब जाम भर जाएंगे
अए नसीम-ए-सहर तुझको उनकी कसम उनसे जाकर न कहना मेरा हाल-ए-ग़म
अपने मिटने का ग़म तो नहीं है मगर डर ये है उनके गेसू बिखर जाएंगे
अश्क-ए-ग़म लेके आख़िर कहाँ जाएं हम आँसूओं की यहाँ कोई कीमत नहीं
आप ही अपना दामन बड़ा दीजीये वरना मोती ज़मीं पर बिखर जाएंगे
काले काले वो गेसू शिकन दर-शिकन वो तबस्सुम का आलम चमन दर-चमन
खेंच ली उनकी तस्वीर दिल ने मेरे अब वो दामन बचा कर किधर जाएंगे