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\stitle{dard kii had se guzaranaa to abhii baaqii hai}
\singers{Rashid Kamil #2}



दर्द की हद से गुज़रना तो अभी बाक़ी है
टूट कर मेरा बिखरना तो अभी बाक़ी है

पास आके मेरा दुख-दर्द बटानेवाले
मुझसे कतरा के गुज़रना तो अभी बाक़ी है

चंद शेरों में कहाँ ढलती है एहसास की आग
ग़म का ये रंग निखरना तो अभी बाक़ी है

रंग-ए-रुस्वाई सही शहर की दीवारों पर
नाम "ऱशिद" का उभरना तो अभी बाक़ी है