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% rkhairabadi03.s isongs output
\stitle{jii uThe hashr me.n phir jii se guzarane vaale}
\singers{Riaz Khairabadi #3}



जी उठे हश्र में फिर जी से गुज़रने वाले
याँ भी पैदा हुये फिर आप पे मरने वाले

%[hashr = day of judgement; yaa.N = here]

है उदासी शब-ए-मातम की सुहानी कैसी
चाँव में तारों की निकले हैं सँवरने वाले

हम तो समझे थे कि दुश्मन पे उठाया ख़ंजर
तुमने जाना कि हमीं तुम पे हैं मरने वाले

सब्र की मेरे, मुझे दाद ज़रा दे देना
ऑ मेरे हश्र के दिन फ़ैसला करने वाले

क्या मज़ा देती है बिजली की चमक मुझको "ऱिअज़"
मुझसे लिपटते हैं, मेरे नाम से डरने वाले