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\stitle{kabhii gu.nchaa kabhii sholaa kabhii shabanam kii tarah}
 
\lyrics{Rana Sahri}
\singers{Rana Sahri}



कभी गुंचा कभी शोला कभी शबनम की तरह
लोग मिलते हैं बदलते हुये मौसम की तरह

मेरे महबूब मेरे प्यार को इल्ज़ाम न दे
हिज्र में ईद मनाई है मोहर्रुम की तरह

मैं ने ख़ुश्बू की तरह तुझ को किया है महसूस
दिल ने छेड़ा है तेरी याद को शबनम की तरह

कैसे हम-दर्द हो तुम कैसी मसिहाई है
दिल पे नश्तर भी लगाते हो तो मरहम की तरह