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\stitle{ko_ii dost hai na raqiib hai}
\singers{Rana Sahri}



कोई दोस्त है न रक़ीब है
तेरा शहर कितना अजीब है

वो जो इश्क़ था वो जुनून था
ये जो हिज्र है ये नसीब है

यहाँ किसका चेहरा पढ़ा करूँ
यहाँ कौन इतना करीब है

मैं किसे कहूँ मेरे साथ चल
यहाँ सब के सर पे सलीब है