% saba01.s isongs output
\stitle{gulashan kii faqat phuulo.n se nahii.n kaa.NTo.n se bhii ziinat hotii hai}
\lyrics{Saba Afghani}
\singers{Saba Afghani}
गुलशन की फ़क़त फूलों से नहीं काँटों से भी ज़ीनत होती है
जीने के लिये इस दुनिया में ग़म की भी ज़रूरत होती है
ऐ वाइज़-ए-नादान करता है तू एक क़यामत का चर्चा
यहाँ रोज़ निगाहें मिलती हैं यहाँ रोज़ क़यामत होती है
वो पुरसिश-ए-ग़म को आये हैं कुछ कह न सकूँ चुप रह न सकूँ
ख़ामोश रहूँ तो मुश्किल है कह दूँ तो शिकायत होती है
करना ही पड़ेगा ज़ब्त-ए-अलम पीने ही पड़ेंगे यह आँसू
फ़रियाद-ओ-फ़ुग़ां से ऐ नादान तौहीन-ए-मोहब्बत होती है
जो आके रुके दामन पे 'सबा' वो अश्क़ नहीं हैं पानी है
जो आँसू न छलके आँखों से उस अश्क़ की क़ीमत होती है