% sahir01.s isongs output
\stitle{Mataa-e-Gair (Belonging to someone else)}
\singers{Sahir Ludhianvi}
मेरे ख़्वाबों के झरोकों को सजाने वाली
तेरे ख़्वाबों में कहीं मेरा गुज़र है कि नहीं
पूछकर अपनी निगाहों से बतादे मुझको
मेरी रातों की मुक़द्दर में सहर है की नहीँ
%[muqaddar = fate; sahar = dawn]
चार दिन की ये रफ़ाक़त जो रफ़ाक़त भी नहीं
उम्र भर के लिये आज़ार हुई जाती है
ज़िंदगी यूं तो हमेशा से परेशान-सी थी
अब तो हर साँस गिराँ_बार हुई जाती है
%[rafaaqat = company/closeness; aazaar = illness; giraa.N_baar = unbearable]
मेरी उजड़ी हुई नींदों के शबिस्तानों में
तू किसी ख़्वाब के पैकर की तरह आई है
कभी अपनी सी कभी ग़ैर नज़र आती है
कभी इख़लास की मूरत कभी हरजाई है
%[shabistaan = a place to pass the night/a place of dreams;][paikar = body/form]
प्यार पर बस तो नहीं हैमेरा लेकिन फिर भी
तू बता दे कि तुझे प्यार करूँ या न करूँ
तूने ख़ुद अपने तबस्सुम से जगाया है जिंहें
उन तमन्नाओं क इज़हार करूँ या न करूँ
%[tabassum = smile]
तू किसी और के दामन की कली है लेकिन
मेरी रातें तेरी ख़ुश्बू से बसी रहती हैं
तू कहीं भी हो तेरे फूल से आरिज़ की क़सम
तेरी पलकें मेरी आंखों पे झुकी रहती हैं
%[aariz = cheeks]
तेरे हाथों की हरारत तेरे साँसों की महक
तैरती रहती है एहसास की पहनाई में
ढूँढती रहती हैं तख़ईल की बाँहें तुझको
सर्द रातों की सुलगती हुई तनहाई में
%[haraarat = warmth; pahanaa_ii = expanse; taKa_iil = imagination]
तेरा अल्ताफ़-ओ-करम एक हक़ीक़त है मगर
ये हक़ीक़त भी हक़ीक़त में फ़साना ही न हो
तेरी मानूस निगाहों का ये मोहतात पयाम
दिल के ख़ूँ करने का एक और बहाना ही न हो
%[altaaf-o-karam = kindness, benevolence; maanuus = loving]
कौन जाने मेरी इम्रोज़ का फ़र्दा क्या है
क़ुर्बतें बड के पशेमान भी हो जाती है
दिल के दामन से लिपटती हुई रंगीं नज़रें
देखते देखते अंजान भी हो जाती है
%[imroz = today; fardaa = future; qurbat = closeness; pashemaan = ashamed]
मेरी दरमाँदा जवानी की तमन्नाओं के
मुज़्महिल ख़्वाब की ताबीर बता दे मुझको
तेरे दामन में गुलिस्ताँ भी है, वीराने भी
मेरा हासिल मेरी तक़्दीर बता दे मुझको
%[daramaa.Ndaa = helpless; muzmahil = hopeless/disappointed]
%[taabiir = result (of); haasil = due/reward]