% sahir03.s isongs output
\stitle{Kabhii Kabhii mere dil me.n Khayaal aataa hai}
\lyrics{Sahir Ludhianvi}
\singers{Sahir Ludhianvi}
कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है...
के ज़िंदगी तेरी ज़ुल्फ़ों की नर्म चाओं में
गुज़रने पाती तो शादाब हो भी सकती थी
ये तीर्गी जो मेरी ज़ीस्त का मुक़द्दर है
तेरी नज़र की शुआओं में खो भी सकती थी
अजब न था के मैं बेगाना-ए-अलम हो कर
तेरे जमाल की रानाईयों में खो रहता
तेरा गुदाज़ बदन तेरी नीम-बार आँखें
इंहीं हसीन फ़सानों में माहो रहता
पुकारतीं मुझे जब तल्ख़ियाँ ज़माने की
तेरे लबों से हलावत के घूँट पी लेता
हयात चीखती फिरती बरहना-सर, और मैं
घनेरी ज़ुल्फ़ों के साये में छुप के जी लेता
मगर ये हो न सका और अब ये आलम है
के तू नहीं, तेरा ग़म, तेरी जुस्तजू भी नहीं
गुज़र रही है कुछ इस तरह ज़िंदही जैसे
इसे किसी के सहारे की आरज़ू भी नहीं
ज़माने भर के दुखों को लगा चुका हूँ गले
गुज़र रहा हूँ कुछ अंजानी गुज़र्गाहों से
मुहीब साये मेरी सिम्त बड़ते आते हैं
हयात-ओ-मौत के पुर्हौल ख़ारज़ारों से
न कोई जादा न मन्ज़िल न रोशनी का सुराग़
भटक रही है ख़ालाओं में ज़िंदगी मेरी
इंहीं ख़लाओं में रह जाऊँगा कभी खोकर
मैं जानता हूँ मेरी हम-नफ़स मगर यूँ ही
कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है