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% sahir13.s isongs output
\stitle{Maadaam}
\lyrics{Sahir Ludhianvi}
\singers{Sahir Ludhianvi}
% Contributed by Kausar



आप बेवजह परेशान-सी क्यों हैं मादाम
लोग कहते हैं तो फिर ठीक ही कहते होंगे
मेरे एहबाब ने तहज़ीब न सीखी होगी
मेरे माहौल में इंसान न रहते होंगे

%[maadaam = Urdu equivalent of Madam]
%[ehabaab = friends; maahaul = environment/surrounding]

नूर-ए-सरमाया से है रू-ए-तमद्दुन की जिला
हम जहाँ हैं वहाँ तहज़ीब नहीं पल सकती
मुफ़लिसी हिस्स-ए-लताफ़त को मिटा देती है
भूक आदाब के साँचे में नहीं ढल सकती

%[nuur-e-saramaayaa = light of wealth; ruu-e-tamaddun = face of civilization]
%[jilaa = shine/brightness; hiss-e-lataafat = finer feelings]
%[aadaab = genteel/civilized/politeness]

लोग कहते हैं तो लोगों पे तअज्जुब कैसा
सच तो कहते हैं कि नादारों की इज़्ज़त कैसी
लोग कहते हैं  मगर आप अभी तक चुप हैं
आप भी कहिये ग़रीबों में शराफ़त कैसी

%[naadaaro.n = poor]

नेक मादाम! बहुत जळ वो दौर आयेगा
जब हमें ज़ीस्त के अदवार परखने होंगे
अपनी ज़िल्लत की क़सम, आप की अज़मत की क़सम
हमको ताज़ीम के मेआर परखने होंगे

%[ziist = life; adavaar = values; zillat = humiliation]
%[azamat = greatness; taaziim = respect; me_aar = level]

हमने हर दौर में तज़लील सही है लेकिन
हमने हर दौर के चेहरे को ज़िया बख़्शी है
हमने हर दौर में मेहनत के सितम झेले हैं
हमने हर दौर के हाथों को हिना बख़्शी है

%[tazaliil = insult; ziyaa = brightness/brilliance]

लेकिन इन तल्ख़ मुबाहिस से भला क्या हासिल
लोग कहते हैं तो फिर ठीक ही कहते होंगे
मेरे एहबाब ने तहज़ीब न सीखी होगी
मेरे माहौल में इंसान न रहते होंगे

%[talK = bitter; mubaahis = arguments]