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\stitle{aqaayad vaham hai mazahab Khayaal-e-Khaam hai saaqii}
\singers{Sahir Ludhianvi #22}



अक़ायद वहम है मज़हब ख़याल-ए-ख़ाम है साक़ी
अज़ल से ज़हन-ए-इंसाँ बस्त-ए-औहाम है साक़ी

हक़ीक़त-आशनाई अस्ल में गुम-कर्दह-राही है
उरूस-ए-आगही परवर्दह-ए-अबहाम है साक़ी

मुबारक हो ज़ईफ़ी को ख़िरद की फ़ल्सफ़ादानी
जवानी बेनियाज़-ए-इब्रत-ए-अंजाम है साक़ी

अभी तक रास्ते के पेच-ओ-ख़म से दिल धड़कता है
मेरा ज़ौक़-ए-तलब शायद अभी तक ख़ाम है साक़ी

वहाँ भेजा गया हूँ चाक करने पर्द-ए-शब को
जहाँ हर सुबह के दामन  पे अक्स-ए-शाम है साक़ी