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\stitle{jiinaa azaab kyuu.N hai ye kyaa ho gayaa mujhe}
\singers{Salman Akhtar #3}



जीना अज़ाब क्यूँ है ये क्या हो गया मुझे
किस शख़्स की लगी है भला बद-दुआ मुझे

बनना पड़ा है आप ही अपना ख़ुदा मुझे
किस कुफ़्र की मिली है भला ये सज़ा मुझे

ये कह के मैं ने रक्खा है हर आईने का दिल
अगले जनम में रूप मिलेगा नया मुझे

निकले थे दोनों भेस बदल कर तो क्या अजब
मैं ढूँढता ख़ुदा को फिरा और ख़ुदा मुझे

तू मुतमईन नहिं तो मुझे कब है ऐतराज़
मिट्टी को फिर से गोओँध मेरी, फिर बना मुझे

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