% saroor01.s isongs output
\stitle{Kal Aur Aaj}
\singers{Aal Ahmed Saroor #1}
वो भी क्य लोग थे आसान थी राहें जिन की
बंद आँखें किये इक सिम्त चले जाते थे
अक़्ल-ओ-दिल ख़्वाब-ओ-हक़ीक़त की न उलझन न ख़लिश
मुख़्तलिफ़ जल्वे निगाहों को न बहलाते थे
%[Kalish = pain/prick; muKtalif = different types]
इश्क़ सादा भी था, बेख़ुद भी, जुनूँ-पेशा भी
हुस्न को अपनी अदाओं पे हिजाब आता था
फूल खिलते थे तो फूलों में नशा होता था
रात ढलती थी तो शीशों पे शबाब आता था
%[hijaab = coyness]
चाँदनी कैफ़-असर रूह-अफ़ज़ा होती थी
अब्र आता था तो बदमस्त भी हो जाते थे
दिन में शोरिश भी हुआ करती थी, हंगामे भी
रात की गोद में मूँह ढाँप के सो जाते थे
%[kaif-asar = inducing intoxication; ruuh-afazaa = soul refreshing]
%[abr = cloud; badamast = intoxicated; shorish = tumult]
नर्म रौ वक़्त के धारे पे सफ़ीने थे रवाँ
साहिल-ओ-बह्र के आईन न बदलते थे कभी
नाख़ुदाओं पे भरोसा था मुक़द्दर पे यक़ीं
चादर-ए-आब से तूफ़ान न उबलते थे कभी
%[narm rau = gentle water current; safiinaa = boat]
%[saahil = shore; bahr = sea; aa_iin = law/natural way]
%[naaKudaa = oarsman; muqaddar = fate; aab = water]
हम के तूफ़ानों के पाले भी सताये भी हैं
बर्क़-ओ-बाराँ में वो ही शमें जलायें कैसे
ये जो आतिश-कदा दुनिया में भड़क उट्ठा है
आँसूओं से उसे हर बार बुझायें कैसे
%[barq = lightning; baaraa.N = storm; aatish-kadaa = conflagration]
कर दिया बर्क़-ओ-बुख़ारात ने महशर बर्पा
अपने दफ़्तर में लिताफ़त के सिवा कुछ भी नहीं
घिर गये वक़्त की बे-रहम कशाकश में मगर
पास तहज़ीब की दौलत के सिवा कुछ भी नहीं
%[bukhaaraat = fevers/great heat; mahashar = day of judgement]
%[lataafat = elegance/pleasantness; be-raham = merciless]
%[kashaakash = struggle; tahaziib = civilization/politeness]
ये अंधेरा ये तलातुम ये हवाओं का ख़रोश
इस में तारों की सुबक नर्म ज़िया क्या करती
तल्ख़ी-ए-ज़ीस्त से कड़वा हुआ आशिक़ का मिज़ाज
निगाह-ए-यार की मासूम अदा क्या करती
%[talaatum = upheaval; Karosh = loud noice/cry]
%[subuk = delicate (here it means dim); ziyaa = brilliance/shine]
%[talKii-e-ziist = bitterness of reality/life; ka.Davaa = sour taste]
सफ़र आसान था तो मंज़िल भी बड़ी रौशन थी
आज किस दर्जा पुर-असरार हैं राहें अपनी
कितनी परछाईयाँ आती हैं तजली बन कर
कितने जलवों से उलझती हैं निगाहें अपनी
%[darjaa = grade/level; pur-asaraar = full of secrets/intricate/complex]
%[tajallii = bright light]