% sauda03.s isongs output
\stitle{aadam kaa jism jab ke anaasar se mil banaa}
\lyrics{Mohammed Rafi Sauda}
\singers{Mohammed Rafi Sauda}
% Contributed by Gopi Shanker "Shareek Sikandarabadi"
आदम का जिस्म जब के अनासर से मिल बना
कुछ आग बच रही थी सो आशिक़ का दिल बना
%[anaasar = the five elements]
सर्गर्म-ए-नाला आज कल मैं भी हूँ अन्द्लीब
मत आशियाँ चमन में मेरे मुत्तसिल बना
जब तेशा कोहकान ने लिया हाथ तब ये इश्क़
बोला के अपनी छाती पे रखने को सिल बना
जिस तीरगी से रोज़ है उशाक़ का सियाह
शायद उसी से चेहरा-ए-ख़ुबाँ पे तिल बना
%[ushaaq = plural of aashiq; siyaah = dark, black]
लब ज़िंदगी में कब मिले उस लब से ऐ! कलाल
साग़र हमारी ख़ाक को मत कर के गिल बना
अपना हुनर दिखा देंगे हम तुझ को शीशागर
तूटा हुअ किसी क अगर हमसे दिल बना
सुन सुन के अर्ज़-ए-हाल मेरा यार ने कहा
"Sऔद" न बातें बैठ के याँ मुत्तसिल बना