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% sauda06.s isongs output
\stitle{jab yaar ne uThaa kar zulfo.n ke baal baa.Ndhe}
\singers{Mohammed Rafi Sauda #6}



जब यार ने उठा कर ज़ुल्फ़ों के बाल बाँधे
तब मैं ने अपने दिल में लाखों ख़याल बाँधे

दो दिन में हम तो रीझे ऐ वाए हाल उन का
गुज़रे हैं जिन के दिल को याँ माह-ओ-साल बाँधे

तार-ए-निगाह में उस के क्यों कर फाँसे न ये दिल
आँखों में जिस की लाखों वहशी ग़ज़ल बाँधे

बोसे की है तो ख़्वाहिश पर कहिये क्यों के उस से
जिस से मिज़ाज-ए-लब पर हरफ़-ए-सवाल बाँधे

मारोगे किस को जी से किस पर कमर कसी है
फिरते हो क्यों प्यारे तलवार ढाल बाँधे

दो चार शेर आगे उस के पढ़े तो बोला
मज़मूँ ये तूने अपने क्य हस्ब-ओ-हाल बाँधे

"Sऔद" जो उन ने बाँधा ज़ुल्फ़ों में दिल सज़ा है
शेरों में उस के तू ने क्यों ख़त-ओ-ख़ाल बाँधे