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\stitle{ek brahmaNn ne kahaa hai ke ye saal achchhaa hai}
\singers{Sabir Dutt}



एक ब्रह्मण्न ने कहा है के ये साल अच्छा है

ज़ुल्म की रात बहुत जळ टलेगी अब तो
आग चूल्हों में हर इक रोज़ जलेगी अब तो
भूक के मारे कोई बच्चा नहीं रोयेगा
चैन की नींद हर इक शख़्स यहाँ सोयेगा
आँधी नफ़रत की चलेगी न कहीं अब के बरस
प्यार की फ़सल उगाएगी ज़मीं अब के बरस
है यहीं अब न कोई शोर-शराबा होगा
ज़ुल्म होगा न कहीं ख़ून-खराबा होगा
ओस और धूप के सदमें न सहेगा कोई
अब मेरे देश में बेघर न रहेगा कोई

नये वादों का जो डाला है वो जाल अच्छा है
रहनुमाओं ने कहा है के ये साल अच्छा है

दिल के ख़ुश रखने को ग़्हलिब ये ख़याल अच्छा है