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\stitle{shab-e-Gam ai mere allaah basar bhii hogii}
\singers{Seemab Akbarabadi #6}



शब-ए-ग़म ऐ मेरे अल्लाह बसर भी होगी
रात ही रात रहेगी के सहर भी होगी

मैं ये सुनता हूँ के वो दुनिया की ख़बर रखते हैं
जो ये सच है तो उंहें मेरी ख़बर भी होगी

चैन मिलने से है उन के न जुदा रहने से
आख़िर ऐ इश्क़ किसी तरह बसर भी होगी