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\stitle{aa.Nkh ko jaam samajh baiThaa thaa a.njaane me.n}
\singers{Shamim Shahabadi #1}



आँख को जाम समझ बैठा था अंजाने में
साक़िया होश कहाँ था तेरे दीवाने में

जाने किस बात की उन को है शिकायत मुझसे
नाम तक जिन का नहीं है मेरे अफ़साने में

दिल के टुकड़ों से तेरी याद की ख़ुश्बू न गई
बू-ए-मय बाक़ि है टूटे हुये पैमाने में

दिल-ए-बर्बाद में उम्मीद का आलम क्या है
टिम-टिमाती हुई इक शम्मा है वीराने में