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\stitle{dhuaa.N uThaa thaa divaane ke jalate ghar se saarii raat}
\singers{Shamim Shahabadi #2}



धुआँ उठा था दिवाने के जलते घर से सारी रात
लेकिन वो ख़ामोश रहे दुनिया के डर से सारी रात

रात यूँ जलते दिल पर तेरी यादों की बर्सात हुई
जैसे इक प्यासे की चिता पर बर्खा बरसे सारी रात

सारि रात तो सपने देखे सुबह को ये महसूस हुआ
हमने अपना सर टकराया इक पत्थर से सारी रात